प्रार्थना
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानांजन शलाकया।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
हे पुष्टि पुरषोत्तम मेरे प्रभु! श्री गोवर्धनधर श्री नाथजी श्रीमद वल्लभ मेरे गुरु आप अपनी अमृतमयी आनंदमयी अहैतुकी कृपा से हम सबमें तप-त्याग-तितिक्षा बल एवं सेवा, स्नेह, समर्पण का सर्वोच्च आदर्श प्रदान करें जिससे हम आपके पवित्र प्रेम का एवं आपकी परमानंदमयता का रसास्वादन कर कृतार्थ हो जायें, कृतार्थ हो जायें, कृतार्थ हो जायें !
- पू. पा. गो. १०८ श्री मथुरेश्वर जी महाराज श्री